बच्चे-जवान सब के लिए एक समान हैं हींग के फायदे
हम पहले के अपने आलेख में पाठकों को बता चुके हैं कि भारत वर्ष में उत्तर से लेकर दक्षिण तक पारंपरिक भोजन की रचना इस तरह की गई है कि उससे लोगों को पूर्ण पोषण मिलने के साथ-साथ पर्याप्त स्वाद भी मिलता रहे। पारंपरिक भारतीय रसोई में जिन मसालों का इस्तेमाल किया जाता है वो स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत का भी पूरा ख्याल रखते हैं। आपकी रसोई का ऐसा ही एक अनिवार्य तत्व है हींग। जी हां, तीखी गंध वाला ये मसाला कई गुणों से भरपूर है। आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
मूल स्थान
इस मसाले की प्राप्ति एक खास पेड़ से होती है। हींग के पेड़ को गोदने से उसमें से खास रस या दूध निकलता है। सूखने पर ये सख्त हो जाता है और इकी का इस्तेमाल हम रसोई में हींग के रूप में करते हैं। भारतीय उप महाद्वीप में हींग की आपूर्ति मुख्यत: अफगानिस्तान से होती है।
असली हींग की पहचान
भारतीय बाजारों में नकली हींग की भरमार है। ऐसे में असली हींग की पहचान है कि पेड़ के तने से रस के रूप में निकलने के कारण ये पूरी तरह ज्वलनशील होती है। यानी अगर इसे आग में जलाया जाए तो ये पूरी तरह जल जाती है। साथ ही ये पूरी तरह घुलनशील भी होती है। यानी पानी में इसे घोला जाए तो ये पूरी तरह घुल जाती है।
हींग की प्रकृत्ति
आयुर्वेद के अनुसार हींग कब्जनाशक, गैस दूर करने वाला, दर्द निवारक, खून साफ करने वाला और वातनाशक है। ये कीटाणुनाशक भी है। भोजन पकाते समय इसका उपयोग खाने के स्वाद को कई गुणा बढ़ा देता है।
स्वास्थ्य में क्या लाभ
आयुर्वेद के अनुसार हींग पेट के विकारों में रामबाण असर करता है। खाकर पेट अफरने की समस्या हो तो बेहतर है कि दाल और सब्जी में हींग का छौंक लगाएं। पेट तना हुआ हो तो हींग को भूनकर उसमें काला नमक मिला लें। इसके बाद हलके गुनगुने पानी के साथ इसका इस्तेमाल करें तो फायदा होगा।
पेटदर्द होने पर शुद्ध हींग को एक चम्मच पानी में घोल लें, उसमें हलकी रूई भिगोकर उसे नाभि पर रखें और पैर सीधा करके लेट जाएं। थोड़ी देर में पैट की गैस निकलने लगेगी और पेटदर्द दूर होगा।
कब्ज होने पर हींग के चूर्ण में एक चुटकी खाने वाला सोडा मिलाकर सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ फांक लें। कब्ज की शिकायत दूर हो जाएगी।
खाने से अरुचि हो गई हो तो थोड़ी सी हींग, सेंधा नमक और जीरा लेकर मिला लें और तीनों को पीसकर चूर्ण बना लें। हर भोजन के बाद आधा चम्मच ये चूर्ण ताजा पानी के साथ लें। सर्दियों में गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
अगर लगातार उल्टियां हो रही हों तो हींग को घी में भूनकर उसमें काला नमक, अजवाइन और काली मिर्च मिलाकर सबको एकसाथ पीस लें। उल्टियां होने पर थोड़ा चूर्ण ताजा या गुनगुने पानी के साथ लेकर आराम करें। फायदा होगा।
काली खांसी के मरीज 10 ग्राम हींग और उतना ही कपूर लेकर एक साथ पीस लें। इस चूर्ण में पानी के छींटे लगाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। एक-एक गोली सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ लें।
बच्चों की पेट से संबंधित छोटी-मोटी परेशानियों में उन्हें हानिकारक अंग्रेजी दवाएं देने से बेहतर है कि उन्हें पहले हींग आधारित इलाज दें। जैसे कि सर्दी में बच्चों को दस्त के साथ पेट में मरोड़ की शिकायत होती है। ऐसे में उनके पेट पर हींग के पानी में मिलाकर बनाए गए घोल की मालिश करें। इससे जल्दी आराम मिल जाएगा। इसी प्रकार बच्चों को पेट दर्द की सामान्य समस्या में 5 हींग को 100 ग्राम गुड़ में मिलाकर उनकी गोलियां बना लें। बच्चों का पेट फूलने पर 1 से दो गोली उबाल कर ठंडा किए गए पानी के साथ खिला दें।
ये तो हींग के चंद लाभ हैं। हकीकत ये है कि आयुर्वेद के अनुसार पेट से संबंधित विकारों में हींग का अलग-अलग तरह से सेवन बहुत ही फायदा पहुंचाता है।
(प्रेमपाल शर्मा की किताब शुद्ध अन्न स्वस्थ तन का संपादित अंश। ये किताब प्रभात प्रकाशन से मंगाई जा सकती है।)
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